Thursday, June 25, 2020

आखिर हर बार सिक्ख ही क्यों निशाने पर ? Why Always Sikhs are being systematically targeted ?



सिक्खों ने देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। यहाँ तक कि बंटवारे का दुख भी सिक्ख समुदाय के लोगों को ही सहना पड़ा। आजादी के लिए सबसे ज्यादा कुर्बानियाँ करने में सिक्ख समुदाय के लोग आगे आये थे। 1947 में देश को आजादी मिली। आज देश को आजाद हुए लगभग 73 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन सिक्खों को देश में वह मान-सम्मान नहीं मिला जिसके वह असली हकदार थे। 73 वर्षों में केन्द्र में भले ही किसी भी पार्टी की सरकार आई सभी ने सिक्खों के साथ सौतेला व्यवहार किया। जिस कारण सिक्ख समुदाय के लोगों में केन्द्र के प्रति रोष भी पनपता रहा जिसको सरकार द्वारा दमनकारी ढंग से दबा भी दिया जाता रहा। इसके बावजूद सिक्खों ने देश के विकास में अपना भरपूर योगदान दिया। यहाँ तक कि जो सिक्ख विदेशों में पलायन कर गये थे किसी ना किसी रूप में देश के विकास में अपना सीधे या परोक्ष रूप से योगदान देते रहे। भारत देश के कई प्रदेशों में सिक्खों ने जंगली भूमि को अपना खून-पसीना एक करके आबाद किया। जिस कारण वह जमीन अब सोना उगलने लगी। सिक्ख समुदाय के लोग मेहनत करने से कभी भी पीछे नहीं हटते। चाहे वह मेहनत कृषि के क्षेत्र में हो या फिर किसी अन्य क्षेत्र में। इन लोगों ने अपनी मेहनत के कारण सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धाक जमा रखी है। शायद इसी कारण वह हमेशा से बहुसंख्यक वर्ग के लोगों पर निशाने पर भी बने रहे।
मध्य प्रदेश, सिक्किम, तेलंगाना, राजस्थान के साथ-साथ अब उत्तर प्रदेश में तराई क्षेत्र के अंदर सिक्खों को निशाना बनाया जा रहा है। इस बार सिक्ख आम लोगों का निशाना नहीं बल्कि स्वयं सरकार द्वारा अपनी दमनकारी नीतियों के कारण सिक्खों को उनकी जमीनों से बेदखल करने की चाल आरंभ की गई। सिक्ख किसानों को उन जमीनों से बेदखल किया जा रहा है जिनको उन्होंने अपने खून-पसीने से आबाद किया था। उत्तर-प्रदेश की योगी सरकार के तुगलकी फरमान से इन सिक्खों की फसलों को ट्रैक्टर, काबाईन के साथ खत्म कर दिया गया। इन हालातों को देखते हुए एक बार सिक्खों को फिर से बंटवारे की याद आ गई। उनको लगने लगा कि अब फिर से उन्हें बंटवारे का दुख सहना पड़ेगा। देश-विदेश में रहने वाले सभी सिक्ख योगी सरकार के इस फरमान से हैरान रह गये। वह सरकार जिसके साथ अकाली दल का केन्द्र में आपसी गठजोड़ है। उसके बावजूद किसी प्रदेश में सिक्खों के साथ अन्याय हो रहा हो तो वह अपने आप में सवालिया निशान खड़ा करता हुआ नजर आता है।
हरसिमरत बादल आई हरकत में
शिरोमणी अकाली दल हमेशा से सिक्खों के हकों पर पहरा देने वाली पार्टी है। इस लिए देश-विदेश के सभी सिक्ख उस पार्टी की तरफ आस लगाये रहते हैं कि अगर उनके ऊपर कहीं भी कोई मुसीबत आती है तो उनकी अपनी पार्टी उनके हक में खड़ी होगी। ताजा मामले के अन्त्तर्गत उत्तर प्रदेश में सिक्ख किसानों को उनकी जमीन से बेदखल किये जाने की जैसे ही बात सामने आई तो शिरोमणी अकाली दल ने फौरन अपनी आपातकालीन बैठक बुलाई। बैठक में शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष स. सुखबीर सिंह बादल स्वयं हाजिर हुए। इसके साथ ही इस बैठक में विशेष रूप केन्द्रीय मंत्री श्रीमति हरसिमरत कौर बादल भी शामिल हुई। बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार के सिक्खों को उनकी भूमि से बेदखल किये जाने पर सख्त ऐतराज जताया गया। वहीं पर केन्द्रीय मंत्री बीबा हरसिमरत बादल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से टैलीफोन पर बातचीत करते हुए इस मसले को जल्द से जल्द सुलझाने की अपील की। शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के आदेश पर तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मुलाकात की। श्री योगी ने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिया कि किसी भी सिक्ख किसान को विस्थापित नहीं किया जायेगा। योगी ने प्रतिनिधिमंडल को यह भी बताया कि सशस्त्र बल केन्द्र के लिए एक वैकल्पिक जगह निर्धारित की जायेगी।  मुख्यमंत्री ने चार जगहों का सर्वेक्षण करने के लिए चार अलग-अलग टीमों का गठन किया, जहाँ सिक्खों को विस्थापन का डर है ताकि उन्हें जुताई करने वाली जगह के अधिकार और साधन मिल सकें। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री के इस आश्वासन का स्वागत करते हुए कहा कि इस मीटिंग से 1950 के दशक से बिजाई करने वाले किसानों को भूमि अधिकार प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त होगा। तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में डॉ. दलजीत सिंह चीमा, सिकंदर सिंह मलूका व प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा शामिल थे।
नव गठित जागो पार्टी के मुखिया मनजीत सिंह जीके ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रधानमंत्री इसमें हस्तक्षेप करें क्योंकि जिन सिखों को जमीनों से बेदखल करने की साजिश योगी कर रही है उस जमीन के असली हकदार वह सिख हैं जिन्होंने बंटवारे के बाद से जंगलात को साफ करके अपनी मेहनत से इन जमीनों को उपजाउ बनाया इसलिए इन्हें इनका मालिकाना हक तो आज तक दिया नही ंगया उल्टा अब उन्हें उनसे बेदखल करने की बात किसी भी सूरत में बर्दाशत नहीं की जायेगी। अखिल भारतीय दंगा पीड़ित राहत कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलदीप सिंह भोगल द्वारा भी इस मामले को योगी सरकार के समक्ष उठाया है। जत्थेदार भोगल इससे पहले कानपुर, लखनउ सहित उ0 प्र0 के अनेक शहरों में 1984 में सिखों के साथ हुए नरसंहार के पीड़ित परिवारों को इन्साफ और कातिलों को सजा दिलाने के लिए निरन्तर संघर्ष करते आ रहे हैं। उन्होंने इस मामले पर भी उ0 प्र0 के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर सिखों के मसलों को हल करने की अपील की है।

सुदीप सिंह (Sudeep Singh)
DSGMC Media Advisor

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