चंडीगढ़। दशकों से कम्युनिस्ट शासन और नास्तिकता के प्रभाव में रहने वाला चीन भी अब अध्यात्म की तरफ जा रहा है। ऐसे माहौल में चीन के कई हिस्सों में विभिन्न धर्मों का प्रभाव बढ़ रहा है। सिख धर्म को भी पहली बार चीन में आध्यात्मिक शांति के लिए अपनाया जाने लगा है। धर्मजोत कौर पहली ऐसी चीनी महिला हैं जो कि सिख धर्म को अपना चुकी हैं और अब अपनी बेटी को भारत में मीरी पीरी एकेडमी में सिख धर्म को समझने के लिए भेजा है।
चीन में सिख धर्म की शुरुआत छह साल पहले सतमुख सिंह ने की थी और आज उनका मिशन कई सौ चीनियों को अपने साथ जोड़ चुका है। अब अजाए अलाए सेंटर, शेनझेन में श्री गुरुग्रंथ साहिब जी का प्रकाश हर सुबह-शाम किया जा रहा है। शाम को सुखासन की परंपरा भी निभाई जा रही है। फ्रांस से आए सतमुख सिंह ने शेनझेन में योगा सेंटर की शुरुआत कर चाइनीज योगा फेस्टिवल शुरू किया। उसके बाद सिख धर्म का प्रचार आगे बढ़ाया। इससे चीनियों की दिलचस्पी बढ़ी और काफी लोग इससे जुडऩे लगे। सतमुख सिंह ने बताया कि उन्होंने कुछ स्थानीय लोगों से सिख धर्म से जुड़े कुछ तथ्यों का चीनी भाषा में अनुवाद भी किया है और उससे भी लोगों को तेजी से सिख धर्म के बारे में जानने का अवसर मिल रहा है।
गुरुद्वारा बनाने के लिए मंजूरी का इंतजार
अभी एक छोटी सी जगह को गुरुद्वारा साहिब में बदलने का प्रयास किया जा रहा है और उसके साथ ही लंगर शुरू करने की भी योजना है। प्रशासनिक तौर पर अभी इस संबंध में अनुमति मिलने का इंतजार किया जा रहा है।
हांगकांग में कई गुरुद्वारा साहिब
मेनलैंड चाइना में सिख धर्म का प्रसार बीते सालों में ही हुआ है, लेकिन चीनी शासन वाले हांगकांग में सिख धर्म बीती एक सदी से मौजूद है। ब्रिटिश काल में पंजाब से गए सिख प्रवासियों ने हांगकांग में कारोबार स्थापित किए। वहां अभी भी कई गुरुद्वारा साहिब हैं। मेनलैंड चाइना में गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश पहली बार हुआ है। लंबे समय से धर्म से दूर रहे चीनी अब धर्म की तरफ मुड़ रहे हैं और सिख धर्म उनकी इस आध्यात्मिक जरूरतों को पूरा कर रहा है।
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