दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष और शिरोमणि अकाली दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ की सीनेट सदस्यों के चयन के लिए चुनाव करवाने की बजाये इसके द्वारा सदस्य मनोनीत किए जाने के फैसले का पुरज़ोर विरोध किया है और कहा है कि राष्ट्रीय संस्थाओं का नुकसान बर्दाशत नहीं किया जाएगा।
यहां जारी किए एक बयान में स. सिरसा ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी पंजाबियों की 138 वर्ष पुरानी संस्था है। इस युनिवर्सिटी की स्थापना पहले लाहौर में हुई थी और देश के बंटवारे से पहले दिल्ली व फिर शिमला शिफ्ट होने के बाद चंडीगढ़ में स्थायी रूप से स्थापित हुई। उन्होंने कहा कि पंजाबियांे की यह गौरवमयी विरासत है जिस पर कौम को हमेशा गर्व रहा है और रहेगा। उनहोंने कहा कि सीनेट सदस्यों की चयन की प्रक्रिया समाप्त कर सदस्य मनोनीत करने का लिया गया फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है जो तुरंत वापिस लिया जाना चाहिए।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष ने कहा कि सीनेट
के लिए मौजूदा चयन प्रबंध को बदलने का किया गया फैसला लोकतांत्रिक नहीं है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में जो व्यवस्था है वह अलग-अलग वर्गों के लिए उचित
प्रतिनिधित्व की व्यवस्था है। कोई भी संस्था तभी सुचारू ढंग से कार्य करती है जब
उसके प्रतिनिधि चुने हुए हों। केन्द्र सरकार को इस मामले में तुरंत नोटिस लेना
चाहिए और सिखों के साथ हो रही ज़्यादती को तुरंत समाप्त कर सीनेट सदस्यों के चयन
के मौजूदा प्रबंध की बहाली को सुनिश्चित बनाया जाना चाहिए।