नई दिल्ली, 13 अगस्तः दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने पाकिस्तान में श्री ननकाणा साहिब के हैड ग्रंथी की बेटी जगजीत कौर को अदालत द्वारा उसके अगवाकारों के हवाले करने के मामले पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री श्री इमरान खान को पत्र लिख कर अल्पसंख्यकों की रक्षा करने के लिए सक्रिय भूमिका अदा करने की अपील की है।
अपने पत्र में स. सिरसा ने बताया कि जगजीत कौर को एक वर्ष पहले अगवा किया गया था और ज़बरन इस्लाम कबूल करवाया गया था और फिर मोहम्मद हसन से विवाह करवा दिया गयाथा। उन्होंने कहा कि भारत सहित पूरी दुनिया भर में रहने वाले सिखों को पाकिस्तान में रहते सिखों की सुरक्षा के सबंध में कोई आशा बाकी नहीं रह गई है। सिख हमेशा मानवता की सेवा के लिए सदैव आगे रहते हैं और सिखों ने भारत व पाकिस्तान दोनों मुल्कों के बीच शांतिपूर्ण संबंधों को उत्साहित करने के लिए अहम भूमिका अदा की है। पर इस सब के बावजूद हमारी बेटियांे को पाकिस्तान में कट्टरवादी तत्वों का शिकार होना पड़ रहा है और यह तत्व जबरन बेटियों को अगवा कर इस्लमा कबूल करवा कर निकाह करवा रहे हैं।
स. सिरसा ने कहा कि जब जगजीत कौर के परिवार ने उसके अगवा होने की बात बताई थी तब पंजाब के राज्यपाल चैघरी सरगर ने भरोसा दिलाया था और सिखों को शांत करने के लिए एक समझौता भी दोनों में करवाया गया था जिसके मुताबिक जगजीत कौर ने कुछ ही दिनों में अपने परिवार के पास वापिस लौटना था पर परिवार का इंतज़ार जारी रहा और बजाये उनके पास आने के जगजीत कौर को दारूल अमन लाहौर भेज दिया गया क्योंकि उसके कथित पति हसन ने निकाह खत्म करने से मना कर दिया था।
स. सिरसा ने कहा कि पाकिस्तान की अदालत द्वारा कल सुनाया गया फैसला बिल्कुल ही एकतरफ़ा है जिसमें लड़की से उसकी आज़ादी छीन ली गई है व उसके माता-पिता के हवाले करने से इन्कार कर यह कह दिया गया है कि परिवार उसे मार ना दे। उन्होंने कहा कि लड़की को अपने अगवाकार के पास रहने के लिए कहा गया है जो सरासर नाइंसाफी है।
स. सिरसा ने कहा कि दुनिया भर के सिख जगजीत कौर के परिवार की हिमायत में एकत्र हो रहे हैं और जल्दी ही विश्व भर में पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों व उनकी बेटियों के हक में मुहिम चलाई जाएगी।
उन्होंने श्री इमरान खान को अपील कर कहा कि वह मानवता के आधार पर
कार्रवाई करते हुए अदालत के फैसले को गलत करार दें और लड़की को उसके परिवार को
सौंपने के लिए दिशा-निर्देश जारी करें। उनहोंने कहा कि यह एक कदम पाकिस्तान में
रहने वाले सिखों का विश्वास उनकी लीडरशिप में मजबूत करेगा और इससे उनकी सुरक्षा भी
सुनिश्चित होगी।
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