Friday, July 3, 2020

Sudeep Singh :महाराजा रणजीत सिंह आज भी लोगों के दिलों में राज करते हैंI

      महाराजा रणजीत सिंह आज भी लोगों के दिलों में राज करते हैंI 

 भारत में सिक्ख साम्राज्य के 19वीं सदी के शासक महाराजा रणजीत सिंह दुनिया भर के नेताओं की प्रतियोगिताओं में सभी को पछाड़कर सर्वकालिक नेता बन गये हैं। बी.बी.सी.वल्र्ड हिस्ट्री मैगजीन की तरफ से करवाये गये सर्वक्षेण में उनको यह पदवी हासिल हुई। महाराजा रणजीत सिंह का जन्म 13 नवंबर 1780 को पाकिस्तान के गुजरांवाला में हुआ था। रणजीत सिंह ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने केवल पंजाब को एक सशक्त सूबे के रूप में एकजुट रखा, बल्कि जीवित रहते हुए अंग्रेजों को अपने साम्राज्य के आस-पास फटकने तक नहीं दिया। 1798 में जमन शाह ने पंजाब से लौटने पर लाहौर पर कब्जा करके उसे अपनी राजधानी बनाया।  उन्होंने भारत पर आक्रमण करने वाले आक्रमणकारी जमन शाह दुर्रानी को 17 साल की उम्र में धूल चटाई थी। 

महाराजा रणजीत सिंह 21 साल की उम्र में पंजाब के महाराजा बन गये थे। महाराजा रणजीत सिंह की एक आँख बचपन में चेचक की बिमारी के कारण चली गई थी। चेचक की वजह से एक आँख की रोशनी जाने पर वे कहते थे, भगवान ने मुझे एक आँख दी है, इसलिए उससे दिखने वाले हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, अमीर और गरीब मुझे तो सभी बराबर दिखते हैं। महाराजा रणजीत सिंह ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उन्होंने अपने राज्य में शिक्षा और कला को बहुत प्रोत्साहन दिया, उन्होंने पंजाब में कानून और व्यव्स्था कायम की और कभी भी किसी को सजा--मौत नहीं दी। महाराजा रणजीत सिंह ने 1801-1839 तक लगभग 40 साल तक पंजाब में राज किया।

सिक्ख शासन की शुरूआत करने वाले महाराजा रणजीत सिंह ने उन्नीसवीं सदी में अपना शासन शुरू किया, उनका शासन पंजा साहिब प्रान्त में फैला हुआ था। महराजा रणजीत सिंह ने दल खालसा संगठन का नेतृत्व किया था। उन्होंने छोटे गुटों में बंटे हुए सिक्खों को एकत्रित किया। महाराजा रणजीत सिंह ने मिसलदार के रूप में अपना लोहा मनवा लिया था और अन्य मिसलदारों को हरा कर अपना राज्य बढ़ाना शुरू कर दिया था। पंजाब क्षेत्र के सभी इलाको में उनका कब्जा था। पूर्व में अंग्रजों पश्चिम में दुर्रानी के बीच उनका राज्य था। रणजीत सिंह ने पूरे पंजाब को एक किया और सिक्ख राज की स्थापनी की। उन्होंने अफगानों के खिलाफ भी लड़ाईयाँ लड़ी। पेशावर समेत पशतून पर अपना राज्य कायम किया। ऐसा पहली बार हुआ की पश्तूनों पर किसी गैर मुसलमान ने राज किया हो। उन्होंने पेशावर और जम्मू-कश्मीर पर भी अधिकार कर लिया। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक उनका राज कायम हो चुका था। ब्रिटिश इतिहासकार जे.टी. व्हीलर के अनुसार अगर वह एक पीढ़ी पुराने होते तो पूरे भारत को जीत लेते।

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जून 1839 में महाराजा रणजीत सिंह का निधन हो गया, उस समय वह 59 साल के थे। महाराजा रणजीत सिंह की मौत के बाद पंजाब में सिक्ख राज का सूरज हमेशा के लिए अस्त हो गया। महाराजा रणजीत सिंह की वीरता, उदारता के कारण भारत के इतिहास में गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त है। उनकी सरकार साम्प्रदायिक आग्रहों से मुक्त थी। उसमें सभी समुदायों के लोग शामिल थे। ऊँचे पदों पर हिन्दू और मुसलमानों दोनों को नियुक्त किया हुआ था। ब्रिटिश इतिहासकार कनिघंम लिखता है कि उनका राज्य जन-भावना पर आधारित था।

महाराजा रणजीत सिंह की बरसी पर हर साल भारत से श्रृधालुओ ंका जत्था पाकिस्तान के गुरधामो ंके दर्शनों के लिए जाता है पर इस बार कोरोना के चलते श्रृधालु भारत से नहीं गये पर पाकिस्तान में बसते सिखों और प्रशासन द्वारा महाराजा रणजीत सिंह की बरसी पर उन्हें याद किया गया और करतार पुर साहिब कोरिडोर श्रृधालुओं के लिए पुनः खोलकर इमरान खान ने एक बार फिर से सिखों को नायाब तोहफा दिया है।

Mr.Sudeep Singh
Co-Chairman of Grdwara Bhai Lalo ji,Rani Bagh
Honorary Media Advisor
DSGMC

New Delhi Television Limited (NDTV), in collaboration with the Delhi Sikh Gurdwara Management Committee :July 5th Sunday 2020 , 7 PM

Japj Foundation : "Hunger is something No One should struggle with or be Judged for"

"Japji Sewa"  Foundation served 100 people food and fruits  in Shram Vihar and Kanchan Kunj (both in Kalindi Kunj) on 2nd July 2020

  


Japji Foundation is deeply grateful to their sponsors  (They know who they are),to Tehreer from Zariya, Rama Sitaraman for her Stellar support and  the selfless team of "Food Delights" for all their support and efforts.

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